Agriculture Success Story of Himachal Pradesh Women Farmers महिला किसान ने बाकी किसानों को दिखाई जैविक खेती की राह, अब सभी को हो रहा बढ़िया मुनाफा : आज के जमाने में खेती के मामले में सबसे ज्यादा किसानों के साथ महिला किसान भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। वहीं देश की बेटियां और महिलाएं भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। अब तक हमने आपको कई महिला किसानों (Lady Farmers) के बारे में बताया है, जिन्होंने अपने दम पर खेती (farming) कर, अच्छी फसल तैयारी की और उस अच्छी फसल से अच्छा मुनाफा भी कमा रही हैं। आज भी हम आपको एक ऐसी महिला किसान के बारे में बताने जा रहे हैं |
Agriculture Success Story : महिला किसान ने बाकी किसानों को दिखाई जैविक खेती की राह, अब सभी को हो रहा बढ़िया मुनाफा

Agriculture Success Story of Himachal Pradesh Women Farmers
हिमाचल प्रदेश के शिमला की रहने वाली महिला किसान (Lady Farmer) के बारे में जिन्होंने अपने गांव और अपने आस-पास के तमाम गांव के किसानों को जैविक खेती करने के तरीको को सीखा, जिससे वो किसान आज अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
एक तरफ जहां लगातार खेती-किसानी में कीटनाशकों (Pesticides) और रासायनिक खादों (Chemical fertilizers) के इस्तेमाल से खेते की जमीन जहरीली होती जा रही है, तो वहीं इसकी वजह से लोगों के बीच कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का भी संकट बढ़ता जा रहा है, लेकिन हमारे ही देश में ऐसे कई वर्ग के किसान हैं जो अपनी खेती और उनकी उनकी तरकीनों में काफी नए तरीकों के इस्तेमाल से खेती कर अच्छे मुनाफे के साथ अच्छी सेहत भी लोगों को दे रहे हैं, ऐसी ही कहानी उस गांव के किसानों की भी है जो हर हाल में जैविक खेती (Organic Farming) करता है। इन किसानों को अपने मुनाफे से ज्यादा चिंता लोगों के स्वास्थय की है।
Success Story of Women Farmers of Himachal Pradesh Organic Farming
हिमाचल प्रदेश के शिमला के इस गांव का नाम पंजयाणु है। इस गांव की सबसे खास बात यही है कि यहां हर एक किसान केवल प्राकृतिक खेती (Natural farming) ही करता है। आज के समय में इस गांव में लगभग 40 बीघा जमीन पर संपूर्ण रूप से केवल प्राकृतिक खेती (Natural farming) की जाती है। आपको जानकार काफी हैरानी होगी, लेकिन यहां जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा देने में किसी सरकार भी का हाथ नहीं हैं बल्कि सबसे ज्यादा गांव की महिला किसानों का योगदान का है।
महिलाओं ने जलाई अलख
वहीं इस गांव के किसानों का इश बारे में कहना है कि आज गांव और आस-पास के सभी क्षेत्रों किसानों को प्राकृतिक खेती (Natural farming) से काफी लाभ हो रहा है, लेकिन ये गांव हमेशा से प्राकृतिक खेती (Natural farming) नहीं किया करता था। किसानों को इस ओर मोड़ने की अलख गांव की महिला किसान लीना ने जगाई थी। आज उनका यह प्रयास राज्य के लिए किसी बड़ी मिसाल से कम नहीं हैं कि उनके गांव के साथ-साथ आस-पास के गांव के किसान भी प्राकृतिक खेती (Natural farming) से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
ऐसे होता है काम
वहीं इस गांव की सभी महिलाएं किसान खेती-किसानी और घर के कामकाज से फ्री होने के बाद एक जगह इकट्ठा हो कर अपनी-अपनी गाय के गोबर और मूत्र, जड़ी-बूटियों की पत्तियां को इकट्ठा करती है और इन सभी को मिलाकर जीवामृत (Fossilized), घन जीवामृत (Cube Germ) और अग्निअस्त्र (Firearms) जैसी दवाईयों को बनाने का काम करती हैं।
रंग ला रहा है प्रयास
इतना ही नहीं इश गांव की महिलाओं के इस प्रयास से किसानों को दुगना मुनाफा हो रहा है। साथ ही एक तरफ इससे उत्पादन बढ़ रहा है और साथ ही दूसरी तरफ खाद (Compost), केमिकल स्प्रे (Chemical spray) और दवाइयों (medicines) को इस्तेमाल कर अच्छे पैसे बचा रहे हैं। साथ ही ऐसी खेती से प्रकृति और खुद किसानों के खेतों को भी किसी तरह की हानि नहीं हो रही है।
3 हजार किसान कर रहे हैं प्राकृतिक खेती
Agriculture Success Story of Himachal Pradesh Women Farmers बता दें कि आज के समय में इस गांव को देखते हुए जिले के कम से कम 3 हजार से ज्यादा किसान शून्य लागत में प्राकृतिक खेती (Zero cost natural farming) कर अपना घर चला रहे हैं। साथ ही जहरीली खेती से मुक्त होकर जहां एक तरफ क्षेत्र भंयकर बीमारियों से बच रहा है। वहीं किसानों को अलग ही पहचान भी मिल रही है। परलागत पर कोई खर्चा नहीं आ रहा है, जिस कारण बचत का पैसा मिश्रित पैदावार (Compound yield) में काम आ रहा है।
Agriculture Success Story : मशरूम और वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन से ये किसान बने सफल किसान और मिसाल