GK In Hindi General Knowledge महात्मा गांधी को जिस बंदूक से मारा गया उस बंदूक का नाम क्या था : आजादी का साल 1947 उसके ठीक एक बाद 1948 का दिन 30 जनवरी इसी दिन नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि जब नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या ती थी तब वो उनसे नाराज थे और आवेश में आकर उन्होंने महात्मा गांधी का मार दिया बाद में नाथूराम गोडसे ने अपना एक बयान भी दर्ज करवाया था जिसमें उन्होंने वो सारी बात बताई था कि उन्होंने महात्मा गांधी को क्यों माार, लेकिन क्या आप जानते कि उस दिन क्या हुआ था और वो कैनसी बंदूक थी जिससे महात्मा गांधी को मारा गया था।
महात्मा गांधी को जिस बंदूक से मारा गया, उस बंदूक का नाम क्या था | GK In Hindi

महात्मा गांधी को जिस बंदूक से मारा गया उस बंदूक का नाम क्या था
दरअसल, नाथूराम गोडसे गांधी जी को मारने की पूरी योजना बना रखी थी जिसके बाद वो ग्वालियर चले गए थे और वहीं रहकर गांडसे ने हत्या के लिए तमाम जरूरी सामान जुटाया और यहीं पर पिस्टल चलाने की प्रेक्टिस की थी। बताया जाता है कि महात्मा गांधी की हत्या की साजिश 20 जनवरी को तह की गई थी, लेकिन उस दिन ये कोशिश नाकाम साबित हुई। इसके बाग नाथूराम गोडसे वहां से भाग कर ग्वालियर चले गए और इस बार उन्होंने ये सोच लिया था कि वो खुद गांधी जी की हत्या करेंगे।
Name of the gun that killed Mahatma Gandhi General Knowledge
प्लान को आगे बढ़ाते हुए गोडसे ने शहर में हिंदू संगठन चला रहे डॉ. डीएस परचुरे की मदद से एक अच्छी पिस्टल की तलाश शुरू की। अब आप सोच रहे थे कि गोडसे ने ग्वालियर जाकर ही पिस्टल क्यों खरीदी। इसके पीछे की वजह है कि सिंधिया रियासत में हथियार के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती थी। इसके बाद खाज पूरी होने के बाद वहीं परचुरे के परिचित गंगाधर दंडवते ने जगदीश गोयल की पिस्टल का सौदा नाथूराम से 500 रुपए में कराया। यही वो पिस्टल थी जिससे नाथूराम ने गांधी जी को गाली मार कर उनकी हत्या कर दी थी।
सिंधिया सेना के अफसर लाए थे इटालियन पिस्टल
पिस्टल को लेकर बताया जाता है कि साल 1942 में सैकेंड वल्र्डवार के दौरान ग्वालियर की एक सैनिक टुकड़ी के कमांडर ले.ज.वीबी जोशी की कमान में अबीसीनिया में मोर्चे पर तैनात की गई थी। बताया जाता है कि मुसोलिनी की सेना के एक दस्ते ने इस टुकड़ी के सामने हथियारों समेत समर्पण कर दिया था। इन्हीं हथियारों में इटालियन दस्ते के अफसर की साल 1934 में बनी 9 एमएम बरेटा पिस्टल (9mm barreta pistol) भी थी। इसे खुद ले.ज.जोशी ने अपने पास रख लिया था। बाद में इसे जगदीश गोयल ने ले.ज.जोशी के वारिसों से खरीद लिया था। इस बरेटा पिस्टल को और गोलियां खरीदकर नाथूराम गोडसे अपने साथी आप्टे के साथ दादर-अमृतसर पठानकोट एक्प्रेस में बैठ कर दिल्ली रवाना हो गए।
ऐसे की थी बापू की हत्या : GK In Hindi
इसके बाद अपने प्लान को अंजाम देने के लिए 30 जनवरी 1948 को चुना और उस दिन शाम 5 बजे बापू प्रार्थना सभा के लिए निकले। इसी दौरान उनकी महिला सहायकों में से तनु और आभा उनके साथ थीं। उस दिन प्रार्थना में काफी ज्यादा भीड़ थी। वहां गोडसे फौजी कपड़ों में पहुंचे थे। इसके बाद गोडसे अपने साथियों करकरे और आप्टे के साथ उसी भीड़ में कहीं घूस गए। बताया जाता है कि तब बापू तनु और आभा के कंधों पर हाथ रखे हुए थे। इसके बाद गोडसे ने गांधी के पैर छूने के लिए तनु और आभा को बापू से बहाने अलग किया तो इसी दौरान गांडने ने बापू के पैर छूते-छूते पिस्टल निकाल ली और दनादन बापू पर गोलियां दाग दीं।
गोली लगते ही ‘हे राम’ कहकर गिर गए बापू
General Knowledge GK in Hindi GK Today Current Affairs जैसे बापू को गोलियां लगी वो हे राम….कहते हुए वहीं नीचे गिर गए। इस तहत से मुसोलिनी की सेना की पिस्टल ने महात्मा गांधी की जान ली। गोली चलते ही प्रार्थना सभा भी भगदड़ मच गई। इसके बाद गोडसे ने नारे लगाते हुए खुद ही चिल्ला कर पुलिस को बुलाया। इस दौरान वहां मौजूद पुलिस ने नाथूराम गोडसे को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद गोडसे ने खुद ही उस पिस्टल को नीचे गिरा दिया।
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